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मनोरंजन से परे: ध्यान के रूप में संगीत

दुनिया में , संगीत को अक्सर केवल मनोरंजन का एक स्रोत माना जाता है। हालाँकि , संगीत में   आकर्षक धुनों और लयबद्ध ताल की सतह के नीचे एक गहन और परिवर्तनकारी शक्ति निहित होती है इसे हम ध्यान की ओर प्रशस्त मार्ग के रूप में भी देख सकते है। गीत की आवाज में उतार - चढाव और लय- ताल जैसी चीजे व्यक्ति   की भावनाओं जैसे   देखभाल और निष्पक्षता के मूल्यों का अनुमान लगाने   में अहम भूमिका निभाती है । गाने के बोल में व्यक्त किया गया गुस्सा, प्यार, ख़ुशी, जैसी भावनाओं से पैदा होने वाला मानसिक रूझान जैसे वफ़ादारी, अधिकार , पवित्रता आदि   लक्षणों के बारे में अनुमान लगाने में अधिक प्रभावी माना गया है...मनोरंजन में अपनी भूमिका से परे , संगीत में हमें हमारी गहरी भावनाओं , विश्वासों और सहानुभूति की भावना से जोड़ने की क्षमता निहित है , जिससे ध्यान का एक अनूठा रूप तैयार होता है जो मानव आत्मा के साथ गूंजता और अंतर्मन के साथ गुथता चला जाता है। पसंदीदा संगीत एवं नैतिक मूल्यों के बीच होता है गहरा सम्बन्ध संगीत हर संस्कृति का अहम हिस्सा है, जो हमारी भावनाओं संवेदनाओं और विश्वास को व्यक...

आवाज़ प्रकृति की









आधुनिकता के इस दौर में ,

जीवन के इस सफर में ,

भूल से गए हैं हम प्रकृति को साथ ले चलना,

जिसके सौंदर्य से हमारा जीवन है खिला,

 कदम कदम पर साथ हमारा जिसने है दिया ,

लेकिन अब रुष्ठ सी हो गई है यह धरा,

स्वरूप उसका मशीनों इमारतो के नीचे है कुचल रहा ,

जिसने हमारा जीवन सर्व-सुविधा युक्त बनाया ,

हे मानव उस पावन धरा को ही तू ने सताया,

सब कुछ हमें प्रकृति नहीं दिया -

थल दिया ,गगन दिया ,जल दिया , घर दिया अन्न दिया, वस्त्र दिया, पर्वत दिया ,समतल दिया ,

जागो और उसे नष्ट होने से बचा लो ,

ध्येय अपने जीवन का जगा लो ,

मत होने दो धरती का दोहन,

अब वह सहन न कर पाएगी ,

विकराल स्वरूप अवश्य दिख लाएगी अभी समय हैं, अभी संभल जाओ। क्योंकि

"अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत"। 

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