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पुणे में दो ग्रासलैंड सफारी की शुरुवात - महाराष्ट्र वन विभाग की एक नई पहल।
आज जंगल सफ़ारी पर्यटको की पहली रूची और साथ ही पर्यटन का अहम भाग बन चुका है। बाघ क्षेत्रों के माध्यम से जंगल के रास्ते जाने वाली सफारी को अकसर लोग ज्यादा पसंद करते हैं। इस बार महाराष्ट्र वन विभाग ग्रास्लैंड सफारी (घास के मैदान की सफारी) के नाम से एक नई पहल पर्यटको के लिए लाई है। इस पहल से घास के मैदानों के संरक्षण की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित करने में मदद मिलेगी, जो आज खतरे में हैं।
इस पहल में, राज्य वन विभाग ने पुणे जिले में दो विभाग ग्रास्लैंड सफारी ट्रेल्स शुरू किए हैं। आमतौर पर, पर्यटकों के लिए जंगल सफारी बाघ परियोजनाओं और बाघ की उपस्थिति वाले वन्यजीव अभयारण्यों को कवर करती है लेकिन महाराष्ट्र राज्य वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इसके साथ हि घास के मैदानों के संरक्षण की आवश्यकता है पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी, जो तेजी से खतरे में हैं।
ग्रासलैंड
सफारी' ट्रेल्स
ग्रासलैंड, घास
के मैदान पक्षियों और स्तनधारियों के लिए महत्वपूर्ण प्रजनन स्थल होते हैं और
चिंकारा और काले हिरण जैसे शाकाहारी और जंगली जानवरों का समर्थन भी करते हैं। वे
तेंदुओं, धारीदार लकड़बग्घों,
भूरे भेड़ियों, सुनहरे
सियारों, लोमड़ियों,
जंग लगी चित्तीदार बिल्लियों
और रैप्टर जैसे पक्षियों की निवासी और प्रजनन आबादी के लिए जाने जाते हैं। पहले, इन
आरक्षित वन क्षेत्रों में प्रवेश अक्सर अवैध होता था।
शहरीकरण के कारण जो
घास के मैदान आज तेजी से दबाव में आ रहे
हैं और वृक्षारोपण कार्यक्रमों के माध्यम से इन्हें वुडलैंड्स में भी परिवर्तित
किया जा रहा है जो कि ग्रासलैंड वन्य जीवो के लिये एक बड़े खतरे के रूप में देखा
जाता है।
महत्वपूर्ण बिन्दु
- इन घास के मैदानों को कवर करने वाले इको-टूरिज्म ट्रेल्स पिछले हफ्ते पूने स्थित बारामती रेंज के शिरसुफल और इंदापुर रेंज के कदबनवाड़ी में लॉन्च किए गए है।
- शिरसुफल ट्रेल लगभग 40 किलोमीटर का ट्रैक तय करता है।
- दूसरा ट्रैक 30 किलोमीटर का ट्रैक तय करता है।
- ग्रासलैंड पुणे से लगभग 130 किमी दूर स्थित हैं।
- प्रत्येक वाहन की लागत लगभग 2,000 रुपये होगी और एक रास्ता तय करने में लगभग तीन घंटे लगेंगे।
- ग्रासलैंड में आरक्षित वन और निजी भूमि भी शामिल हैं।
"यह संरक्षित क्षेत्र के बाहर महाराष्ट्र में पहली ग्रासलैंड सफारी'
ट्रेल्स थी। सफारी घास के
मैदानों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगी,
जो पारिस्थितिकी तंत्र में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और क्षेत्र में पर्यटक यातायात को भी
नियंत्रित करते हैं।"
महादेव मोहिते
पुणे के उप वन संरक्षक
कैसे होगा प्रबंधन??
ग्रासलैंड सफारी' ट्रेल्स
हेतु संयुक्त वन प्रबंधन समिति (जेएफएमसी) के सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है
और समिति को टिकट बिक्री से राजस्व मिलेगा। पर्यटकों की संख्या में वृद्धि और
क्षेत्र के विनियमन से स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद
है। मोहिते ने कहा कि स्थानीय गाइडों के प्रशिक्षित होने के बाद, भिगवान, सोलापुर
और फलटन जैसी जगहों पर अधिक इको-टूरिज्म ग्रासलैंड सफारी' ट्रेल्स
शुरू किए जाएंगे।
अवैध गतिविधियाँ पर
लगेगी रोक??
पहले, रात
में इन क्षेत्रों में पर्यटकों का आना और फोटोग्राफी के लिए लकड़बग्घों के
निवासस्थान के आसपास बैठने जैसी अवैध गतिविधियाँ होती थीं। जिनके द्वारा इन
जानवरों की नजदीक से तस्वीरें भी लीं गयी थी... वे अपने वाहनों को इन निवास स्थान
के पास ले जाते थे और उनकी तस्वीरें लेने के लिए फ्लडलाइट का इस्तेमाल करते थे।
परन्तु अब, यह सावधानी बरती जाएगी कि इन जानवरों को परेशान न किया जाए
और उनकी तस्वीरें पर्यावरण के अनुकूल तरीके से ली जाएं।
स्थानीय समुदाय
मार्गदर्शक के रूप में कार्य करेगा
पहले पर्यटकों को पहले बाहर से गाइड मिलते थे। अब, स्थानीय गाइड उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे स्थानीय ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगें ।स्थानीय समुदाय को प्रबंधन कौशल में प्रशिक्षित किया जा रहा है । संगठित पर्यटन से वन विभाग को उन नागरिकों और प्रकृति प्रेमियों तक व्यवस्थित पहुंच प्रदान करने में मदद मिलेगी जो इन स्थानों की यात्रा करना चाहते हैं।
सफ़ारी टाइमिंग स्लॉट
यह बात भी ध्यान रखना चाहिए कि पुणे के पास ग्रासलैंड सफारी पूरे साल खुली रहेगी। सुबह 6 बजे से 9 बजे तक सुबह की सफारी और दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक तक दोपहर की सफारी होती है। शाम 6 बजे तक का अनुभव करने के लिए एक दिन की सफारी पर्याप्त है ।
शुल्क विवरण (वाहन प्रवेश सहित)
- आगंतुक आधिकारिक वेबसाइट,graslandsafari.org से ऑनलाइन स्लॉट बुक कर सकते हैं। जिसके बाद उन्हें स्थानीय प्रशिक्षित गाइड अलोट किया जाएगा।
- भ्रमण के लिए वन विभाग के द्वारा कोई वाहन उपलब्ध नहीं कराता है ।
- ज़ोन में केवल सात की अधिकतम क्षमता (ड्राइवर और गाइड सहित) वाले निजी चार पहिया वाहनों की अनुमति है।
- सफारी की कुल लागत 2,100 रुपये है। जिसे कुछ इस प्रकार से विभाजित किया जा सकता है:
- वाहन प्रवेश शुल्क: रु.1,500
- गाइड शुल्क: रु.500
- कैमरा शुल्क: 100 रुपये
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